Veer Bal Diwas: Honoring the Courage of the Sahibzadas
Veer Bal diwas का ऐतिहासिक संदर्भ

Veer Bal Diwas मनाने का कारण
गुरु गोबिंद सिंह जी के 4 पुत्रों के बलिदान
साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह ने चमकौर के युद्ध में मुगलों के खिलाफ बहादुरी से लड़ते हुए बलिदान दिया।
साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह को मुगल शासक वज़ीर खान ने इस्लाम स्वीकार करने का दबाव डाला, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया।
गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों पुत्रों ने धर्म और सिख परंपराओं की रक्षा के लिए वीरता से बलिदान दिया।
गुरु गोबिंद सिंह जी की विरासत
वीर बाल दिवस का महत्व
युवाओं द्वारा आज से सीखने के लिए सबक
कैसे मनाया जाता है वीर बाल दिवस
साहिबज़ादों के बलिदान का व्यापक प्रभाव
विषय | जानकारी |
---|---|
दिनांक | 26 दिसंबर |
क्यों मनाया जाता है? | गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों के बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए |
मुख्य व्यक्तित्व | साहिबजादा जोरावर सिंह (9 वर्ष), साहिबजादा फतेह सिंह (7 वर्ष) |
मुख्य घटना | मुगल शासकों द्वारा दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया |
मुख्य उद्देश्य | वीरता, निडरता और धर्म के प्रति समर्पण की प्रेरणा देना |
कार्यक्रम | नाटक, प्रदर्शनी, संगोष्ठियाँ, श्रद्धांजलि सभाएँ, इतिहास से जुड़ी कहानियाँ |
महत्व | बच्चों और युवाओं को साहिबजादों की बहादुरी और निष्ठा से प्रेरित करना |
Frequently asked questions
गुरु गोबिंद सिंह जी के कितने पुत्र थे?
गुरु गोबिंद सिंह जी के चार पुत्र थे – साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह।
साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह को कैसे शहीद किया गया?
मुगल शासक वज़ीर खान ने जोरावर सिंह (9 वर्ष) और फतेह सिंह (6 वर्ष) को जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद उन्हें सरहिंद में जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया।
चमकौर के युद्ध में किन साहिबजादों ने बलिदान दिया?
साहिबजादा अजीत सिंह (18 वर्ष) और साहिबजादा जुझार सिंह (14 वर्ष) ने 1705 में चमकौर के युद्ध में मुगलों के खिलाफ वीरगति प्राप्त की।